अमर चित्र कथा हिन्दी >> भगवान बुद्ध भगवान बुद्धअनन्त पई
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प्रसिद्ध महात्मा भगवान बुद्ध के जीवन के विषय का वर्णन
Bhagwan Buddha A Hindi Book by Anant Pai - भगवान बुद्ध - अनन्त पई
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
भगवान बुद्ध
अन्य धर्मों की तरह हिन्दू धर्म ने भी अनेक स्वतंत्र विचारधारा वाले व्यक्तियों को जन्म दिया है। इसमें एक प्रखर विचारवान् थे राजकुमार सिध्दार्थ जो आगे चलकर भगवान बुद्ध के नाम से प्रसिद्ध हुए। सिध्दार्थ के समय में हिन्दू धर्म अपनी शक्ति और सात्विक पवित्रता खो चुका था। धर्म के नाम पर वर्ण व्यवस्था ने बहुत ज़ोर पकड़ लिया था। और पण्डितों ने उस दमन का साधन बना लिया था।
बुध्द ने पण्डितों की इस सत्ता को और भगवान के प्रतिनिधि होने के दावे को ठुकराया तथा वेदों की सत्ता पर भी शंका उठायी। उनकी मान्यता थी कि उपासना और तपस्या कर्मकाण्ड मात्र बनकर रह गयी है। उनके लिए जो मनन और चिन्तन चाहिए। वे लुप्त हो चुके है।
अतः वे पूर्ण सत्य की खोज में निकल पड़े । बोधि वृक्ष के नीचे तपस्या करते हुए उन्हें बुध्दत्व की प्राप्ति हुई। इस प्रकार जो ज्ञान उन्हें प्राप्त हुआ। वे उसे मनुष्य जाति के साथ बांटने लगे। क्योंकि उनके मन में सारी मानव जाति के प्रति करुणा का अथाह सागर लहराता था।
लोगों का धर्म-परिवर्तन करने का रंग मात्र भी विचार उनका नहीं था।
आज उनके अनुयायी सारे संसार में पाये जाते है जिनमें अधिकांश दूर पूर्व के देशों में बसे हैं।
बुध्द ने पण्डितों की इस सत्ता को और भगवान के प्रतिनिधि होने के दावे को ठुकराया तथा वेदों की सत्ता पर भी शंका उठायी। उनकी मान्यता थी कि उपासना और तपस्या कर्मकाण्ड मात्र बनकर रह गयी है। उनके लिए जो मनन और चिन्तन चाहिए। वे लुप्त हो चुके है।
अतः वे पूर्ण सत्य की खोज में निकल पड़े । बोधि वृक्ष के नीचे तपस्या करते हुए उन्हें बुध्दत्व की प्राप्ति हुई। इस प्रकार जो ज्ञान उन्हें प्राप्त हुआ। वे उसे मनुष्य जाति के साथ बांटने लगे। क्योंकि उनके मन में सारी मानव जाति के प्रति करुणा का अथाह सागर लहराता था।
लोगों का धर्म-परिवर्तन करने का रंग मात्र भी विचार उनका नहीं था।
आज उनके अनुयायी सारे संसार में पाये जाते है जिनमें अधिकांश दूर पूर्व के देशों में बसे हैं।
हिमालय की तराई में एक छोटा-सा परन्तु समृद्ध राज्य था। कपिलवस्तु । वहां शाक्यवंशी राजा शासन करते थे। युद्धोधन वहां के राजा थे।
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